5 Essential Elements For Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana
जब हमें डर लगता है वास्तव में उसके पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है एक आम रूप में डर (भय) लगना स्वाभाविक है जिसे बच्चे, बूढ़े, नवजवान यहां तक अन्य जीव-जंतुओं में भी डर की प्रतिक्रियाए देखने को मिलती है
डर मानसिक कमजोरी का संकेत नहीं है, बल्कि आत्म-जागरूकता की आवश्यकता है। अपनी मानसिक शक्ति को बढ़ाने के लिए:
मेरे बच्चों का क्या होगा वगैरह वगैरह तो ये बातें उसके दिल में घर कर लेती हैं.
आप सकारात्मक दृष्टिकोण से अलग अलग चिंताओं और डर को दूर कर सकते हैं।
अक्सर देखा जाता है की कई बार शरीर से बलिष्ठ लोग भी डरपोक होते हैं. जबकि हकीक़त में दुसरे लोग उसके शरीर को देख देख कर अन्दर से उनसे डर रहे होते हैं.
अपने अंदर के डर को कैसे दूर भगाएं
हो सकता है किसी शारीरिक या मानसिक रोग की वजह से आपके साथ ऐसा हो रहा हो.
सामाजिक प्रभाव सामाजिक प्रभाव – परिचय
यह किसी विचार, आगामी या बीते जीवन की बातों को याद करने, परिस्थिति के ठीक ना होने, जीवन में चल रहे भारी उथल-पुथल के कारण भी आता here है। वास्तव में डर व्यक्ति के कल्पना करने की शक्ति से उत्पन्न होता है। इसका वैज्ञानिक दृष्टिकोण भी है अगर किसी व्यक्ति में मस्तिष्क का वह हिस्सा “हाइपोथैलेमस” कार्य नहीं कर रहा है जिससे हम सोच विचार करते हैं ऐसा व्यक्ति भय मुक्त बन जाता है
बहुत से लोग सोचते हैं कि साहसी व्यक्ति को डर नहीं लगता, जबकि सच यह है कि वे डर को माना
“मैं हर परिस्थिति में शांत और आत्म-विश्वासी हूँ।”
इसके ठीक उलट जिन्हें भगवान् पर पूरा भरोसा होता है और उन्हें याद करते हैं वो लोग ज्यादा निर्भीक पाए जाते हैं.
एक बात समझ लीजिये की ज़िन्दगी भगवान् ने दी है तो सबका भविष्य भी उन्ही का तय किया हुआ है.
खुद को आश्वस्त करने के लिए सेल्फ हिप्नोसिस आज़माएँ।